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‘देशद्रोही’ निकला उत्तराखंड का घोड़ा, विधायक महोदय ने ‘देशभक्ति’ से दिया करारा जवाब!

कटाक्ष
कटाक्ष
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घोड़ो ने सड़कें जाम कर रखी थी. नारों की गूंज दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी. हांलाकि, नारे सरकार विरोधी थे या देश विरोधी इस पर सभी को कंफ्यूजन थी. घोड़ों का प्लॉन 20 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति को नष्ट करने का था. आखिर पिछला रिकॉर्ड तोड़कर ही, तो वो सुर्खियों में आ सकते थे. उनकी मांग थी ‘आरक्षण’ लेकिन नौकरी, शिक्षा में नहीं बल्कि उन्हें ‘जीवन आरक्षण’ चाहिए था. उन्हें भी संरक्षित पशुओं की लिस्ट में शामिल होना था. ऐसी ही न जाने कितनी मांगों के साथ जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे थे ये घोड़े. वहीं उत्तराखंड में विधायक महोदय के गुस्से का शिकार बने घोड़े पर भी चर्चा हो रही थी. कोई उस घोड़े को आईएस का साथी बता रहा था तो किसी को उसके देशद्रोही गतिविधियों में शामिल होने का शक था.



polity satire


जब टीम इंडिया ने नाक कटवाई तो हम क्यों पीछे रहें?

आखिर नेता जी, यूं ही तो किसी को नहीं मार सकते न. सुबह से मीडिया में भी इसी तरह की खबरें देखने को मिल रही थी. एक मशहूर न्यूज चैनल पर कुछ इस तरह की ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी ‘अफजल प्रेमी गैंग के घोड़े और आम जनता के बीच हाथापाई, घोड़े की मामूली टांग टूटी है, जबकी बीच बचाव करने आए बीजेपी  के विधायक को इस घटना में भारी-भरकम खरोंचे आई हैं. घोड़े की इस एक गलती के कारण पब्लिक प्रापर्टी को भी काफी नुकसान पहुंचा है’. वहीं दूसरी ओर संसद में एक जिम्मेदार मंत्री महोदया इस घटना की सफाई देते हुए कह रही थी ‘देखिए, मंत्री जी मौके पर घटना होने के 15 मिनट पहले पहुंचे थे लेकिन क्या करें बहुत बुलाने पर भी डॉक्टर नहीं पहुंचा. मैं हर तरह की बहस को तैयार हूं लेकिन अगर फिर भी आप संतुष्ट नहीं होते, तो मैं अपनी टांगें काटकर उस घोड़े के चरणों में अर्पित कर दूंगी.’


horse attack

वहीं टीवी पर अक्सर बहस में शामिल होने वाले बुद्धिजीवी कहते दिख रहे थे ‘अरे टांग ही तो तोड़ी है और वो भी घोड़े की. इसमें क्या आफत आ गई. आखिर गऊ माता को ‘बीफ’ बनने से भी तो यही कट्टर देशभक्त रोकते हैं न ? तब तो कोई नहीं आता इनकी प्रशंसा करने और वैसे भी घोड़ा कौन-सा धार्मिक रूप से मान्य है बल्कि ये तो इनके चुनावी एजेंडे में संरक्षित पशु के रूप में शामिल भी नहीं है. आप समझते क्यों नहीं, एक इंसान होने से पहले एक ‘ देशभक्त ‘ होना जरूरी है. ऐसे में विधायक महोदय ने क्या गलत कर दिया. भई, गलती तो पहले घोड़े की ही है न, आखिर वो देशद्रोह पर क्यों उतर आया? अपने देश का होकर अपने देश के ‘जनसेवक’ को ही लात मार बैठा. ऐसे में मंत्री महोदय को मजबूरन कार्रवाई करते हुए ये साहसी कदम उठाना पड़ा.



save cow

लड़कियों के प्रति इसकी नजरों में वासना और लालसा भरी है!

अब आप ही बताएं जहां की फास्ट ट्रैक कोर्ट में रेप जैसे छोटे-मोटे अपराध वाले केस का फैसला होने में सालों-साल लग जाते हो, वहां भला घोड़े द्वारा विधायक को लात मारने के जघन्य अपराध के केस का फैसला आने में सदियां लग सकती थी. ऐसे में विधायक महोदय के पास कोई विकल्प नहीं बचा था. नेता जी को न्याय चाहिए था जो उन्होंने पा लिया. इसमें आप क्यों ‘असहनशीलता’ दिखा रहे हैं? तभी जंतर-मंतर पर ‘जीवन आरक्षण’ की मांग लेकर बैठे घोड़ों और दूसरे पशुओं के साथ एक अजीब घटना घटी. एक गाय अपनी जीवन लीला समाप्त करने के लिए सड़क के बीचों-बीच खड़ी थी.



let us live


ये देखकर सभी पशु उसके करीब आकर बोले ‘अरे, क्यों मौत के मुंह जाना चाहती हो? तुम्हें बचाने के लिए तो ‘विशेष देशभक्त’ आपस में लड़-मरते हैं. तुम कसाई के खूनी हाथों से बच सको इसलिए शक होने मात्र से ही दर्जनों लोगों को पीट-पीटकर मौत की आगोश में सुला दिया जाता है और तुम हो कि मरने जा रही हो?’ ये बातें सुनकर गाय को सभी पशुओं की अल्पबुद्धि पर हंसी आ गई. वो बोली ‘कौन-सी दुनिया में जी रहे हो तुम? कसाई के पास कटने से बचाई जाती हूं न कि मेरी भूख-प्यास का ठेंका लिया है इन सबने.’ इतना सुनना था कि सभी पशुओं के चेहरे मायूसी से पीले पड़ गए और इस बार उनकी आंखें आसमान में थी कि जैसे भगवान से ‘अगली बार हमें नेता ही कीजो’ की गुहार लगा रहे हो…Next


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