Menu
blogid : 12847 postid : 680440

ब्रांडेड झाड़ू का जमाना है

कटाक्ष
कटाक्ष
  • 82 Posts
  • 42 Comments

तिनका-तिनका जोड़कर घरौंदा बनता है जनाब..तिनका को दोयम दर्जा समझने की गलती मत करना. कबीर जी की वह वाणी सुनी ही होगी:


“तिनका कबहुँ ना निंदिये, पाव तले जो होय।

कबहुं उड़ आंखों पड़े, पीर घनेरी होय॥”


तो जनाब हमारी व्यंग्य की गली में आपका फिर से स्वागत है. आज तिनका से घरौंदा बनाने की कहानी हम सुनाएंगे…अजी आप कैसे नहीं आएंगे..तिनके से नाता जो नहीं तोड़ पाएंगे!


आज कबीरा दीवाना की बात करते-करते अचानक याद आया कि कितनी सही वाणी कह गए कबीर जी तिनके के विषय में. आज सारी दुनिया तिनके की कहानी कितने चाव से सुन रही है. हर तरह जो शोर है उसमें बस ‘तिनका’..’तिनका’! ध्वनि ही गूंज रही है. तिनके को तजने वाले आज उसकी ताकत का अंदाजा कर इधर-उधर मारे-मारे फिर रहे हैं और जिसने इस तिनके की ताकत को समझा वह आज तिनका-राजमहल का सुख भोग रहा है. बेचारे तिनके के इस राजमहल से बाहर रहने वाले अब तक हैरत से बस यही सोच रहे हैं कि आखिर कंक्रीट-सीमेंट से बने घर से ज्यादा मजबूत ये तिनके का घर कैसे बन गया!


polity satire aapहां तो जनाब, एक बड़ी बात यह भी है कि आज ये तिनका अकेला वाला तिनका भी नहीं है. तिनका-तिनका जोड़कर जो झाड़ू बनता है यह तो वही झाड़ू वाला गठजोड़ है. तिनकों का मजबूत गांठ जो भले आप घर के बाहर या घर के किसी कोने में हिकारत से रख दें लेकिन तिनकों के इस गठजोड़ के बिना एक दिन भी आपका काम नहीं चलता. तिनकों का वही मजबूत गठजोड़ है यह ‘झाड़ू’ लेकिन इसकी बात यह है कि यह कोई आम झाड़ू नहीं..यह एक ब्रांडेड झाड़ू है…नाम है ‘आप’! यह ‘आप झाड़ू’ बाकी सभी झाड़ू में सबसे सुशील, सुसज्जित और मजबूत है. कहते हैं यह ‘आप ब्रांड झाड़ू’ एक बार जहां पड़ जाए तो वहां गंदगी का नामो-निशान नहीं रहता. कहते हैं यह ‘आप झाड़ू’ करिश्माई है एक बार जहां जाता है वहां झाड़ू चलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती, बस एक हाथ मारो और सारी गंदगी करिश्माई ढंग से कहीं गायब हो जाती है और कभी दुबारा वापस नहीं आती. तो हर कोई अपने घर में अब ये ब्रांडेड ‘आप झाड़ू’ ही लाना चाहता है….तो इन्हें दिक्कत तो होनी ही थी!


हुआ ये कि इस ‘आप ब्रांड झाड़ू’ को लेकर लोगों में इतनी मारामारी हो गई है कि अचानक पहले के सारे ब्रांडेड झाड़ू लोकल ब्रांड से बदतर हालात में पहुंच गए हैं. बेचारे आते-जाते हर राहगीर को हसरत भरी निगाहों से देखता है कि यह हमें घर ले जाएगा लेकिन सबकी जुबां पर बस ‘आप’ ही ‘आप’ है. जो आता है ‘आप झाड़ू’ की मांग करते हुए आस-पास पड़े कभी ब्रांडेड रहे आज के इन लोकल झाडू को हिकारत भरी नजर से देखकर इनका दर्द और बढ़ा देता है. तो बेचारे निठल्ले बैठे कभी इधर, कभी उधर धकेले जाते हुए दिन-ब-दिन अपना एक-एक तिनका खोकर प्रतिष्ठा के साथ-साथ अपनी जान गंवाने की हालत में पहुंच गए हैं. बार-बार लोगों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह ‘आप झाड़ू’ आपको धोखा दे रहा है. उसकी सफाई कोई करिश्माई सफाई नहीं बल्कि आंख का धोखा है, हाथ की सफाई है. जैसे जादूगर हाथ की सफाई से जादू दिखाता है वैसे ही यह ‘आप झाड़ू’ भी सफाई के नाम पर हाथ की सफाई, जादूगरी दिखा रहा है.

‘आप’ यहां आए किसलिए…


पर करें क्या…लोग तो लोग हैं. उन्हें तो सफाई से मतलब है. चाहे वह असली की सफाई हो या हाथ की सफाई! अब आप ही सोचो..आप टिकट खरीदकर जादू का शो देखने जाते हो और जादूगर ने हाथ की सफाई से ही सही लेकिन आपका रुमाल मांगकर ‘आबरा डाबरा छू…’ बोलकर रुमाल झाड़कर अगर सफेद कबूतर निकाला और आपको रुमाल के साथ-साथ आपको कबूतर भी दे दिया…तो ये तो फायदे का सौदा है न! रुमाल भी अपना..टिकट के पैसे में कबूतर भी मुफ्त में मिल गया…मनोरंजन हुआ वह अलग! तो क्या मतलब है भाई ये कहने का कि जादूगर ने हाथ की सफाई ही दिखाई या सचमुच का करिश्मा! तो इस झाड़ू के करिश्मे में भी सचमुच का करिश्मा या हाथ की सफाई हो..इससे लोगों को क्यों मतलब हो भला! लेकिन बेचारे कभी ब्रांडेड झाड़ू रहे ‘आप’ के कारण आज लोकल बने ये झाड़ू बेचारे किसी करिश्मे का इंतजार कर रहे हैं कि उनके दिन बहुरें और वे फिर ब्रांडेड झाड़ू की अकड़ दिखा सकें! हमें क्या है…हमारी गली में तो सबका स्वागत है..सबके लिए दुआ है. इनके लिए भी.. आमीन!

आप ने याद दिलाया तो हमें याद आया…

पूत कपूत भले हो जाएं, ये माता कुमाता नहीं सौतेली माता हैं

अमेठी में कांग्रेस के लिए आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति है

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply to ashish jainCancel reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh