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नि:शब्द शब्द के साथ आपको शायद जवान बनने की कोशिश करते भारत के महानायक अमिताभ बच्चन याद आते होंगे. क्या कहा…फिल्म याद आ गई…भई फिर तो आपकी चुप्पी का कारण समझ सकते हैं हम..नि:शब्द को याद कर नि:शब्द हो गए हैं आप. जनाब आप ही नहीं ये भी नि:शब्द हैं. ये और बात है कि इनके नि:शब्द होने के पीछे की कई कहानियां कही जाती हैं लेकिन सच वाली कहानी कौन सी है इसका चुनाव जरा मुश्किल है.
हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी कब और कैसे नि:शब्द हुए इसकी हमें जानकारी नहीं है लेकिन हमारा खयाल है कि उनकी नि:शब्दता के पीछे एक बहुत बड़ा सदमा है, बहुत गहरा सदमा. पर सदमा! देश के प्रधानमंत्री को सदमा! इतना बड़ा अर्थशास्त्री जिसके पास अर्थशास्त्र के इतने उपाय हैं कि हर मुश्किल का जोड़-तोड़ कर कोई न कोई उपाय तो निकाल ही ले, ऐसे महान व्यक्ति को सदमा! अरे भाई यही तो वे कांग्रेसी आर्यभट्ट हैं जिनके बूते बहू सोनिया महंगाई के दमे से हांफ रही अपनी सासू मां (भारत मां) का इलाज करने का दम भरती हैं. अरे भाई ऐसी महान शख्सियत को भी सदमा लग सकता है? क्या कहें, हम तो खुद ही यह सोचकर हैरान हैं कि प्रधानमंत्री जी को सदमा लगा कैसे!
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हमने सदमे के कारणों पर बहुत सोचा. आखिर हमें कुछ समझ आया है. जब प्रधानमंत्री जब ‘प्रधानमंत्री’ बने (या बनाए गए) उन्हें कहां पता था कि वे इतने बड़े मॉडर्न आर्यावर्त के बादशाह बनने वाले हैं (नाम के ही सही). तो हो सकता है कि सदमा उन्हें इसी बात का लगा हो. डॉक्टर्स कहते हैं कि न कि ज्यादा खुशी या ज्यादा गम दोनों ही इंसान को सदमा दे सकती हैं. हां, यह पता लगाना जरा मुश्किल है कि हमारे माननीय आर्यभट्ट को खुशी वाला सदमा लगा या गम वाला. होने को कुछ भी हो सकता है.
वो पुरानी फिल्मों में आपने देखा होग कि सदमे का इलाज करने के लिए हीरो या हीरोइन को वापस वही सदमा दिया जाता है और वह ठीक हो जाता है. हमारे प्रधानमंत्री जी तो सदमें से नि:शब्द ही हो गए. देश उनका एक शब्द (जो सोनिया प्रस्तावित न हो) सुनने के लिए तरस गया. इसलिए शायद भगवान या बहू सोनिया ने सोचा कि फिर कोई सदमा दिया जाए. पर कैसे? सवाल बड़ा था पर मुश्किल हल हुई घोटालों से. कांग्रेस और बहू सोनिया ने अपने इस तारणहार के लिए अपने दामन पर यह दाग लेना भी मंजूर कर लिया. और फिर शुरू हुई घोटालों की कड़ियां. एक के बाद एक घोटाले…एक से बढ़कर एक घोटाले. मनमोहन सरकार हाय हाय! मनमोहन सरकार हाय हाय! (ऐसा हम नहीं तब के नारों की बात कर रहे हैं). पर सदमा शायद इतना गहरा था कि इससे भी कोई फायदा न हुआ. तब हुआ ब्रह्मास्त्र का प्रहार! इस ब्रह्मास्त्र में सीधे प्रधानमंत्री जी को निशाना बनाया गया.
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पता चला कि हमारे सीधे-सादे से प्रधानमंत्री जी ने छल-प्रपंच की दुनिया बसा रखी थी. घोटालों में इनकी मिलीभगत थी और बस काम कर गया यह फॉर्मूला. थोड़ी हरकत में हमारे बादशाह! कभी-कभी एक दो-शब्द मिले उनके सुनने को. सुनकर हमारे कानों का जीवन सफल हो गया. हमारे प्रधानमंत्री जी बोले. खुशी की लहर गूंजी. नि:शब्द ने एक शब्द बोला. लगा अब और बोल फूटेंगे. लेकिन यह ज्यादा दिन तक नहीं चला. रुपया गिरा और प्रधानमंत्री जी फिर स्तब्ध से ‘नि:शब्द’ हो गए. शायद इसीलिए अब इस लक्ष्मण के लिए रघुराम हनुमान को लाया गया है. देखते हैं भाभी सोनिया के इस लक्ष्मण के लिए रघुराम संजीवनी पिला पाते हैं या नहीं. इंतजार है कि नि:शब्द की ये स्तब्ध्ता टूटे. आमीन…..!!!
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