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फिर बोले बड़बोले नेता

कटाक्ष
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अपनी जुबान से कभी दूसरों पर तीर चलाने वाले तो कभी उसकी वजह से खुद ही घायल हो जाने वाले दिग्विजय सिंह किसी को भी अपनी जुबान की धार से बक्शने में विश्वास नहीं रखते. उनके विरोध में जो भी आवाज उठाता है उसे उनकी खरी-खोटी का सामना करना ही पड़ता है. फिर चाहे वो कोई विपक्षी दल का नेता हो या फिर सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस के बड़बोले महासचिव दिग्विजय सिंह के लिए सभी बराबर हैं.


मामा का रुतबा मतलब हमारी ऐश


वैसे तो भारत की सर्वोच्च अदालत के आदेशों और उसके कथनों पर किसी प्रकार की टिप्पणी करना संविधान का उल्लंघन है लेकिन दिग्विजय सिंह के लिए क्या संविधान, कैसा उल्लंघन, उनके लिए तो सब कुछ जायज सा हो गया है.


पैसे लैपटॉप में खर्च हो गए अब इसीलिए परीक्षा नहीं दिलवा सकते !!


अब देखिए ना कोलगेट मामले में स्टेटस रिपोर्ट सरकार से साझा करने के आरोप में सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट से खरी-खरी सुननी पड़ी, यहां तक कि न्यायालय ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता तक कह डाला. अभी तक सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की बात उठती थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने जो सीबीआई का चीरहरण किया है उससे दिग्विजय सिंह बहुत परेशान हैं. उन्हें जो भी मिलता है वह उसी को अपनी परेशानियां सुनाने लगते हैं. पहले वह पत्रकारों के सवालों का जवाब भी ढंग से नहीं देते थे वहीं अब वो पत्रकारों से ही अपने सवालों का जवाब मांगते फिर रहे हैं.


अरे भई बच्चा ही तो है बलात्कार कर दिया तो कौन सी आफत आ गई……


उनका पत्रकारों से बस यही सवाल है कि “पहले सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा गया और फिर बंगलुरु में एक केंद्रीय प्रशासनिक पंचाट ने आईबी को चिकन कहा, क्या हम अपनी संस्थाओं को नीचा नहीं दिखा रहे हैं?मैं चाहता हूं कि आप इसका जवाब दें. मैं चाहता हूं कि आप उन लोगों की भी प्रतिक्रिया लें जो हमारी संस्थाओं को तोता और चिकन बता रहे हैं.



इधर-उधर की बयानबाजी करते-करते दिग्विजय सिंह इतने परिपक्व हो चुके हैं कि अब वो खुद सुप्रीम कोर्ट को उसकी जिम्मेदारियों से अवगत करवाने में जुट गए हैं.



दिग्विजय सिंह का कहना है कि “अगर सुप्रीम कोर्ट को यह लगता है कि कोयला घोटाले की मूल रिपोर्ट में कानून मंत्री ने कुछ बदलाव किए हैं तो उसे एक न्यायिक आदेश पारित करना चाहिए. महज राय व्यक्त करने से जिम्मेदारी तय नहीं होती है.



दिग्विजय सिंह का बड़बोलापन यही समाप्त नहीं हुआ उन्होंने कहा कि “तो सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने पूर्व क़ानून मंत्री अश्विनी कुमार के विरुद्ध मामला दर्ज करने और उन्हें जेल भेजने का आदेश क्यों नहीं दिया? केवल राय के आधार पर किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता, अश्विनी कुमार एक वकील हैं और अपना काम जानते हैं.”



दिग्विजय सिंह कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हैं और लगता है नेतागिरी को उन्होंने काफी गंभीरता से ले लिया है तभी तो भाषणबाजी करने और मीडिया में छाने का एक भी मौका नहीं चूकते लेकिन इस बार उनके बयानों की गाज किसी और पर नहीं सीधे उच्चतम न्यायालय पर गिरी है. अब बस देखना यह है कि इसका खामियाजा उन्हें कब और किस तरह भुगतना पड़ेगा.


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Tags: digvijay singh, digvijay singh newstatement, digvijay singh controversy, supreme court, CBI, सुप्रीम कोर्ट, सीबीआई




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