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इस बार लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की अर्थी निकलेगी. 36 सीटें मायावती ले जाएंगी, 10 बीजेपी को मिलेंगी, कांग्रेस इस बार 40 सीटें हासिल करेगी और बची-खुची 4 सीटें ले जाएगी सपा – बेनी प्रसाद वर्मा
36+10+40+4=90. ओह, लेकिन उत्तर प्रदेश से लोकसभा में तो बस 80 ही सीटें हैं, तो सवाल यह उठता है कि 10 सीटें जो एक्स्ट्रा हैं वह क्या बेनी प्रसाद वर्मा अपने घर से लाएंगे? केन्द्रीय इस्पात मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा ने अपने एक भाषण में यह साफ कर दिया कि या तो वह कभी स्कूल नहीं गए जिससे कि वे गुणा, भाग, जमा जैसे गणित के आधारभूत सिद्धांत सीख पाते या राजनीति, विशेषकर उत्तर प्रदेश की राजनीति से ताल्लुक रखने के बावजूद वह अपने भटकते मन पर काबू नहीं रख पाए या फिर उनके बयानों का एकमात्र उद्देश्य मुलायम सिंह पर निशाना साधना ही होता है, फिर चाहे उन बयानों का, आंकड़ों का कोई हाथ-पैर हो या ना हो.
कुछ दिनों से बेनी प्रसाद वर्मा अपने अजीबो-गरीब बयानों को लेकर चर्चा का विषय बने हुए हैं. सपा से तो वह इस कदर खफा नजर आ रहे हैं कि पूछिए मत. निशाना साधना चाहते हैं मुलायम पर लेकिन उनकी कमान से निकला हुआ तीर घूम-फिर के उन्हीं को जाकर चुभ जाता है. अब तो हालत यह हो गई है कि उनकी अपनी पार्टी ही उनके बयानों को महत्व नहीं देती. वह उनके प्राय: हर बयान को उनकी निजी राय बताकर नजरअंदाज कर देती है.
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हाल ही की बात है जब बेनी ने मुलायम सिंह को आतंकवादी कहा था. लेकिन इससे पहले की मुलायम सिंह यादव अपने ऊपर हुई इस टिप्पणी पर सार्वजनिक तौर पर गंभीर होते या फिर आम जनता इस पर सोच विचार करती, बेचारे बेनी की किस्मत ने फिर गच्चा दे दिया. डीएमके ने यूपीए गठबंध से इस्तीफा दे दिया और जिनके सहारे यूपीए लंगड़ाकर खड़ी हुई वह थे सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव. बस फिर क्या था गेंद आ गई यादव जी के पाले में. अब वह जैसे चाहे इस गेंद को उछाल सकते थे. कांग्रेस को डर सताने लगा कि कहीं अगर मुलायम ने भी पार्टी से खुद को अलग कर लिया तो संसद में बहुमत साबित करना मुश्किल हो जाएगा और फिर वही होगा जिसे सपने में भी अगर कोई कांग्रेसी देख ले तो महीने भर तो कम से कम नींद ना आए. अरे वही सरकार गिर जाने का सपना. फिर क्या था बेनी जी को अपने इस बयान के लिए माफी मांगनी पड़ी.
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लेकिन बड़बोले बेनी महाराज के बयानों के बाणों का सिलसिला यहीं नहीं थमा. बल्कि वह तो हर बार बस मौके की ही तलाश में दिखे कि कब कोई सुनहरा अवसर हाथ लगे और फिर वह मूलभूत अधिकार राइट टू एक्सप्रेशन का प्रयोग करें.
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समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार होकर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने जा रहे कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ऊर्फ गजोधर भैया तो पहले ही कह चुके हैं कि बेनी अपने बयान शराब के नशे में देते हैं. अब कांग्रेस भी उनके बेतुके बयानों से पल्ला झाड़ती नजर आ रही है. अब सवाल यह उठता है कि जब दोस्त हुए पराए, दुश्मन हुआ जमाना, तो हमारे बेनी बाबू किसे अपने दिल का हाल सुनाएंगे.
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