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यहां कितने आश्वासन दिए गए, कितने वायदे किए गए पर ना जाने यह पूरे क्यों नहीं हो पाते. प्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी ने खूब कहा था – कौन कहता है हमारी सरकार ठोस कदम नहीं उठाती, पर वो कदम इतने ठोस होते हैं कि वो उठ ही नहीं पाते. बिल्कुल यही हालत यहां की भी है जो पूरी तरह से इसे इस कथन के अनुरूप बनाती है. यही हालत भारत के संसद की है जहां दुनिया भर के सबसे ज्यादा आश्वासन दिए जाते हैं पर शायद ही उनमें से कुछ पूरे हो पाते हैं. संसद मतलब हंगामा. आज तक भारतीय संसद में जो भी हुआ उसमें हंगामे तो आम हैं.
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क्या ये थे कदम: आज तक भारत में कई सारी योजना और प्रयोग किए गए हैं जिसमें से रोजगार और आर्थिक नीतियों की योजनाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. यह ध्यान सरकार द्वारा नहीं दिया जाता है बल्कि जनता इनके प्रति लालाइत नेत्रों से देखती रहती है. आज उन नेत्रों की परवाह न करते हुए सरकार कुछ ऐसे फैसले ले रही है जिससे जनता पूरी तरह त्रस्त हो चुकी है. नित्य बढ़ते डीजल और पेट्रोल के मूल्य एक सबसे बड़ी चिंता का सबब है. ईंधन गैस के ऊपर सब्सिडी घटने और लगातार बढ़ मंहगाई के कारण सारे पर्व धूमिल पड़ते जा रहे हैं.
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कभी-कभी ये भी: कभी-कभी इस पूरे चक्र में यह भी सुनने को मिल जाता है जब कोई सांसद बड़े गर्व से आकर कहता है कि “आज मैंने संसद में कोई हंगामा नहीं किया.” कितनी बड़ी बात है, आज तो आपने देश पर कृपा कर दी कोई हंगामा नहीं कर के जनता आपकी आभारी है, जिसपे आप भारी हैं और वो बोझ तले मरी जा रही है. किसी नेता जी के घर में महीने में 15 सिलिंडरों की खपत है और जनता को कम में ही बहला दिया गया. इस पर चौंकना नहीं चाहिए यह तो भारत में होता आया है, बहलाना तो यहां की परंपरा रही है.
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भारत में सब चलता है: भारत में सब कुछ पंरपरा पर आधारित होता है. चाहे वो खानदान की रीति हो या राजनीति में खानदान. किसी विशेष परिवार से अगर आप संबंध रखते हैं तो आपको कभी कोई अड़चन नहीं आएगी. आप चाहे कितने भी स्वार्थी क्यों ना हों आपका पतन कभी नहीं होगा. संसद चले या न चले कुछ भी हो जाए पर आपका अस्तित्व हमेशा बरकरार रहेगा.
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