- 82 Posts
- 42 Comments
भारतीय राजनीति में कोई ना कोई एक पक्ष हमेशा भारी रहा है और यही भार दूसरे पक्ष के लिए लिए परेशानी का कारण बन जाता है. आम तौर पर यह दो दलों के बीच देखा जाता है पर इस बार भारतीय राजनीति में कुछ अलग रंग देखने को मिल रहे हैं. यह रंग इतने गहरे हैं कि चर्चाओं में पूरी तरह से अपना स्थान बनाने में सफल हुए हैं. बीजेपी के वरिष्ट नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकिल राम जेठमलानी को बीजेपी से निलंबित कर दिया गया है. यह खबर अपने आप में बेहद सनसनीखेज है.
Read:करीना की शादी ने करवा दिया बड़ी बहन का तलाक
दूसरों पर बोलोगे तो यही होगा(Ram Jethmalani): अपने काम से काम रखना और पार्टी के रास्ते में अवरोध ना बनना ही एक राजनैतिक कार्यकर्ता के लिए सबसे अच्छा विकल्प है. अगर आप इस बात का ध्यान नहीं रखेंगे तो आपकी भी हालत जेठमलानी साहब जैसी ही होगी. किसी भी पार्टी को बगावत सहन नहीं होती और यह तो खैर आंतरिक बगावत थी इसमें ऐसा होना ही था. पहले तो भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी के इस्तीफे की मांग को लेकर जेठमलानी चर्चा में बने रहें और विरोध करते रहें नितिन गड़करी का जब उनका साथ देने के लिए भाजपा के और नेता आगे आए तो उन्होंने अपनी नज़र दूसरी तरफ घुमा ली. अब उनका नया विषय सीबीआई के निदेशक की नियुक्ति बन गई और उसके लिए विरोधाभास पैदा कर अपने लिए नई मुसीबत को नेवता दे दिया.
Read:नरेन्द्र मोदी को नई चुनौती !!
आप इतने आगे क्यों बढ़ गए(BJP and Ram Jethmalani): जहां यशवंत सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा भी अब नितिन गडकरी के इस्तीफे की मांग करने लगे थे और इस बारे में यशवंत सिन्हा पर कई टिप्पणी भी की गई. वहीं इनका साथ न लेते हुए राम जेठमलानी ने दूसरे कार्यक्रम में हाथ लगा दिया और शायद यह सहन नहीं हुआ भाजपा से और उसे इतने कड़े फैसले उठाने ही पड़े. विरोध को शांत करने के लिए राज्यसभा के सांसद अरुण जेटली सामने आए और स्थिति को संभालने की कोशिश की. जहां एक तरफ भाजपा के पास सत्ता नहीं है वहीं ऐसे विवाद, और अधिक परेशानी का कारण बन रहे हैं. अंदरूनी कलह की आग से जलती भाजपा को अब शांति कैसे मिलेगी यह देखने वाली बात है.
Read More:
Read Comments