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रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप लगाते हुए सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि कैसे रॉबर्ट वाड्रा ने चार साल के अन्दर 300 करोड़ की प्रॉपर्टी बनाई है. इसकी जाँच होनी चाहिए. अपनी आदत को जारी रखते हुए कांग्रेस ने इस मामले पर अगुवाई करनी शुरू कर दी है. कांग्रेस के कुछ मंत्रियों ने इस बात का खंडन करते हुए कहा कि यह एक बेबुनियादी आरोप लगाया जा रहा है रॉबर्ट वाड्रा पर और जब कि वो राजनीति से ताल्लुक नहीं रखते तो फिर क्यों उन पर ऐसे आरोप लगाये जा रहे हैं. पर मंत्रियों की यह बात कहां तक जायज़ है कि जो व्यक्ति राजनीति से न जुड़ा हो उस पर जाँच नहीं हो सकती? जहाँ तक अरविन्द केजरीवाल के तर्क को देखा जाये तो उनका कहना है कि “वाड्रा ने चार सालों में लगभग 300 करोड़ की प्रॉपर्टी बनाई. उन्होंने कहा कि साल 2007 से 2010 के बीच वाड्रा की संपत्ति 50 लाख से बढ़कर 300 करोड़ रुपए हो गई.” काश ऐसी तरक्की हमारे देश की हो पाती जो प्रत्येक वर्ष अपने औसत आर्थिक विकास स्तर से नीचे ही रहता है.
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आरोप: सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बने अरविन्द केजरीवाल ने रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर कैसे रॉबर्ट वाड्रा कि प्रॉपर्टी चार वर्षों के अन्दर 300 करोड़ की हो गयी है? आंकड़ों का हवाला देते हुए अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि कैसे साल 2007 से 2010 के बीच वाड्रा की संपत्ति 50 लाख से बढ़कर 300 करोड़ रुपए हो गई. केजरीवाल ने आरोपों को पुष्ट करने के क्रम में कहा कि वाड्रा कि इस उन्नति में डीएलएफ का बड़ा हाथ रहा है. डीएलएफ ने वाड्रा को इस वृद्धि में भरपूर साथ दिया है. अरविन्द केजरीवाल ने कहा वाड्रा को डीएलएफ ने 65 करोड़ का ब्याज मुक्त लोन दिया. इस पर प्रशांत भूषण ने कहा, ‘2007 में राबर्ट वाड्रा की कंपनियों की कुल पूंजी 50 लाख रुपये थी. इन कंपनियों के पास इनकम का एक मात्र जरिया डीएलएफ से मिला ब्याज मुक्त लोन था. वाड्रा की प्रॉपर्टी का मुख्य कारण डीएलएफ को बताते हुए केजरीवाल ने कहा इसे छोड़ कर इन कंपनियों के इनकम का कोई लीगल सोर्स नहीं है.
पुरानीआदत–बचाव:अपनी आदत से मजबूर कांग्रेस तुरंत ही इस मामले में वाड्रा के बचाव में उतर गयी. कांग्रेस के आला मंत्री ने यहाँ तक कह दिया है कि ये सारे बेतुके आरोप हैं. चुनाव के पहले इस तरह के आरोप से जहां हर एक राजनीतिक पार्टी अभ्यस्त हो चुकी है वहीं दूसरी तरफ अरविन्द केजरीवाल की मिलीभगत बीजेपी के साथ बताया जा रहा है. हालांकि इस मामले पर अपनी चिंतन धारा की वजह से अलग हुए अरविन्द केजरीवाल और अन्ना हजारे इस बार एक साथ नज़र आ रहे हैं. अन्ना ने केजरीवाल के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि इस पूरे मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए.
नासेथोड़ाहीसही: अन्ना हजारे के प्रादुर्भाव से ज्यादा कुछ भले ही ना हुआ हो पर लोगों को यह तो अब पता चलने ही लगा है कि भ्रष्टाचार कहते किसे हैं !!!!! भले ही इस सरकार में इतनी पारदर्शिता ना हो कि वो सटीक आइने जनता के सामने पेश कर सके पर उसे पूरी तरह किसी घटना को झुठला देना जरूर आता है. ऐसा ही इस मामले में भी होगा. जितना कष्ट एक रोटी बनाने में नहीं होता है उससे कहीं ज्यादा उस रोटी से खेलने वाले शख्स को देख कर होता है, जो हमारी ही भूमि पर राज करते हैं और हमें ही फसल से वंचित कर देते हैं.
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